UPSC परीक्षा में निगेटिव मार्किंग से कैसे निपटें: संस्कृति आईएएस

कई बार अभ्यर्थी परीक्षा की तैयारी में परिश्रम तो बहुत करते हैं लेकिन इसके अनुरूप परिणाम देखने को नहीं मिलता है। बावजूद इसके कि उनकी तैयारी की दिशा भी सही थी। बहुत छोटी-छोटी दिखने वाली गलतियाँ हमारी बड़ी-बड़ी सफलताओं को छीन लेती हैं। इन्हीं में शामिल है- ‘निगेटिव मार्किंग’ यह दण्ड की एक व्यवस्था है। जो प्रश्न के गलत होने पर लागू होती है।

UPSC परीक्षा में निगेटिव मार्किंग-
अयोग सिविल सेवा परीक्षा को तीन चरणों में संपन्न कराता है। प्रत्येक चरण के आयोजन का विशिष्ट उद्देश्य है-
प्रारंभिक चरण में बौद्धिकता, तार्किकता एवं जागरूकता की जाँच; दूसरे चरण, मुख्य परीक्षा में विषय वस्तु की समझ एवं विश्लेषण क्षमता, नैतिकता की जाँच, अंतिम चरण यानी साक्षात्कार में व्यक्तित्व की जाँच की जाती है। हालाँकि मुख्य परीक्षा और साक्षात्कार के अंकों को जोड़कर अंतिम मेरिट का निर्धारण किया जाता है। वहीं प्रारंभिक परीक्षा बहुविकल्पीय और अर्हताकारी (Qualifying) प्रकृति की होती है। इसे उत्तीर्ण किए बिना अभ्यर्थी दूसरे एवं तीसरे चरण में शामिल नहीं हो सकता है। इसलिए यह प्रारंभिक चरण महत्वपूर्ण हो जाता है।
प्रारंभिक चरण:-
UPSC COACHING के प्रारंभिक चरण में दो पेपर (सामान्य अध्ययन-1, सामान्य अध्ययन-2) आयोजित की जाती हैं।
दोनों पेपर बहुविकल्पीय प्रकार की होती हैं। सही उत्तर देने पर अंकों में बढ़ोत्तरी होती है, वहीं गलत उत्तर देने पर सही उत्तरों द्वारा जुटाए गए अंकों से कटौती कर ली जाती है। जो एक-तिहाई निर्धारित की गई है। यह व्यवस्था सिर्फ प्रारंभिक चरण में ही लागू होती है।

निगेटिव मार्किंग के उद्देश्य-
निगेटिव मार्किंग द्वारा उन अभ्यर्थियों को छांट देना जिनमे आवश्यक ज्ञान एवं आत्मविश्वास की कमी हो।
इसलिए प्रश्न पत्रों को ऐसे तैयार किया जाता है ताकि योग्य, तार्किक, बौद्धिक, अनुशासित एवं प्रतिबद्ध अभ्यर्थी ही चयनित होकर आगे जाएँ।

संस्कृति आईएएस द्वारा निगेटिव मार्किंग से बचने के लिए बताए गए टिप्स-
• शॉर्टकट बेहतर विकल्प नहीं है। अपने पाठयक्रम को सम्पूर्णता में पढ़ें। यह आपके आत्मविश्वास में वृद्धि करेगा।
• सामान्यतया कटऑफ़ 50 प्रतिशत के इर्द-गिर्द रहता है। सभी प्रश्नों के उत्तर देना समझदारी नहीं है।
• प्रयास यही करें कि प्रथम रीडिंग में जिन प्रश्नों में पूरी तरह आश्वस्त हो उन्हें ही हल करें
• यदि प्रथम रीडिंग में 55 से 60 प्रतिशत प्रश्न सही हो रहे हों तो अन्य प्रश्न हल करने से बचें
• यदि 55 से 60 प्रतिशत कम प्रश्न हल हुए हैं तो दूसरी रीडिंग में उन्हीं प्रश्नों को हल करने का प्रयास करें जिसमे दुविधा हो। चूँकि प्रश्नों के सही होने की सम्भावना आधी है और यदि प्रश्न गलत होता है तो एक-तिहाई की कटौती होगी। अंततः यह फायदे का सौदा है।
• उन प्रश्नों को बिल्कुल भी हल न करें जो आपकी समझ से बाहर के हैं। चूँकि इन प्रश्नों में अंक मिलने की सम्भावना एक-चौथाई है, जबकि प्रश्न गलत होने पर एक तिहाई अंक की कटौती कर ली जाएगी। जो अंततः घाटे का सौदा है।
• उन प्रश्नों के उत्तर दे सकते हैं जो प्रथम दृष्टया तो नहीं आ रहे लेकिन विकल्प पढ़ने पर आपकी समझ का झुकाव किसी एक विकल्प पर ज्यादा हो। चूँकि ऐसा होता है कि मस्तिष्क में सूचनाएँ चेतन से अवचेतन या अचेतन में चली जाती हैं जो प्रश्न को देखकर चेतन में आने की कोशिश करती हैं।

इन्हीं बिन्दुओं के दृष्टिगत संस्कृति आईएएस अपनी संस्था में क्लास टेस्ट और टेस्ट सीरीज का आयोजन कराती है। जिसके माध्यम से अभ्यास कर रहे अभ्यर्थी स्वयं का मूल्यांकन कर अपनी तैयारी को सम्पूर्ता प्रदान कर सकें और जिनके चयन सूची में सम्मिलित होने की दर में वृद्धि हो जाए।

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