संत-महात्माओं ने श्री राममंदिर के निर्माण में संघर्ष और बलिदान को याद किया

पाँच सो वर्षो की त्याग-तपस्या-बलिदान के पश्चात भारत भूमि में 22 जनवरी 2024 की तारीख स्वर्णिम समय में विश्वभर में लिखी जाएगी। आराध्य देव मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम की जन्मभूमि अयोध्या धाम पर भव्य मंदिर का निर्माण कार्य एवं भगवान के विग्रह की प्राण प्रतिष्ठा होने वाली है। इसी तारत्मय में सनातन सोशल ग्रुप ने सोमवार को कालिका माता मंदिर सभागृह में सनातन सोशल ग्रुप के स्थापना दिवस मकर संक्रांति पर युवा गोष्ठी (श्री राम मंदिर के संघर्ष के 500 वर्ष) का आयोजन किया। मंच पर संत-महात्मा के साथ राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पदाधिकारियों ने मौजूद होकर युवाओं को संबोधित किया।

युवा गोष्ठी में अतिथि के रूप में वृंदावन से पधारे महामंडलेश्वर संत श्री जगदीश स्वरूपानंदजी महाराज, अखंड ज्ञान आश्रम रतलाम के संत श्री देवस्वरूपानंद जी महाराज, संपर्क प्रमुख मालवा प्रांत धर्म जागरण संत श्री हरीश जी व्यास, (घटवास), राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के विभाग प्रचारक श्री विजय गोटीकर और जलिा संघ चालक श्री सुरेंद्र जी सुरेका मौजूद रहे। युवा गोष्ठी के शुरुआत में मंचासीन संत-महात्माओं और राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के पदाधिकारियों का अभिनंदन सनातन सोशल ग्रुप के संयोजक मुन्नालाल शर्मा, अध्यक्ष अनिल पुरोहित, शैलेंद्रसिंह राठौड, पूर्व महापौर शेलेंद्र डागा, प्रदीप उपाध्याय, बजरंग पुरोहित, राजेश माहेश्वरी, रवि पंवार, नीलेश सोनी, विशाल अग्रवाल, विशाल जायसवाल आदि ने किया। कार्यक्रम में युवाओं की उपस्थिति देखते ही बनती थी। जय-जय श्रीराम के उद्घोष से कार्यक्रम स्थल राममय हो गया।


संत श्री देवस्वरूपानंदजी महाराज ने कहा कि 1992 में राममंदिर के लिए सभी साथ थे, उनके बलिदानों को कभी भुलाया नहीं जा सकता है। 22 जनवरी 2024 की तारीख विश्वभर में स्वर्णिम अक्षरों में लिखी जा रही है। सभी के आराध्य देव मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम की प्राण-प्रतिष्ठा हमने 500 वर्ष के संघर्ष और बलिदानों से हासिल की है। संत श्री हरीश जी व्यास ने कहा कि रामजी की स्थापना रामजी के चरित्र की स्थापना है। हम लोग चित्र की नहीं बल्कि अपने-अपने आराध्य देव मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम जी के चरित्र की पूजा करते हैं। उन्होंने उज्जैन और रतलाम में भेद नहीं होने की परिभाषा को समझाते हुए बताया कि उज्जैन में राजा भगवान महाकाल हैं तो रतलाम की माता मां काली हैं। श्री जगदीश स्वरूपानंदजी महाराज ने कहा कि समाज को जागरूक संत ही करते हैं, क्योंकि संतों को ही चिंता होती है। संत ही समाज को याद दिलाते हैं कि आपमें प्रभु का ज्ञान कितना है। मंचासीन राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के विभाग प्रचारक श्री विजय गोटीकर ने अयोध्या के श्री राम मंदिर निर्माण के संघर्ष और इतिहास पर प्रकाश डालते हुए कहा कि राममंदिर के निर्माण का इतिहास काफी लंबा और बलिदानी है। श्री राममंदिर के लिए 76 बार लड़ाई लड़ी गई। समय-समय पर हिंदुओं ने विभिन्न कार्यों के माध्यम से बलिदान दिया और जिसकी विजय तारीख 22 जनवरी 2024 अंकित हुई है। विपक्षी सरकार की ताकतों ने हरसंभव प्रयास कर रोड़े अटकाए, लेकिन सच्चाई नहीं दब सकी। लंबे संघर्ष के बाद 1950 में श्री रामलला की आरती के लिए एक पंडितजी को अनुमति मिली थी। इसके बाद वर्ष 1984 में उड़पी में संतों का सम्मेलन हुआ। सम्मेलन का मुख्य विषय हिंदू रक्षा को लेकर था और इस सम्मेलन में संत-महात्माओं ने जनजागृति की हुंकार भरी थी। कार्यक्रम के समापन पर प्रभु श्री राम की आरती की गई। इस दौरान पवन सोमानी, कैलाश झालानी, विनोद करमचंदानी, बलबंत भाटी, हितेश कॉमरेड,  नरेंद्र बाहेती, पप्पू भंसाली, अशोक यादव, राजेंद्र पाटीदार, रामचंद्र डोई, गौरव त्रिपाठी, राजेंद्र चौहान, गोपाल कसेरा, गोपाल शर्मा, प्रभु सोलंकी, क्षितिज ठाकुर, महेश त्रिपाठी, अरविंद शर्मा, योगेश सोनी, नरेंद्र श्रेष्ठ, राजेश जैन, सुनील भंडारी सहित बड़ी संख्या में युवा, सामाजकि संगठनों के पदाधिकारी व सनातन सोशल ग्रुप के पदाधिकारी व अन्य मौजूद रहे।

Leave a Comment